Tuesday, October 11, 2011

दुनिया के रिश्वतखोरों! एक हो


-अशोक मिश्र

काफी दिनों बाद उस्ताद गुनाहगार से भेट नहीं हुई थी। सोचा कि उनसे मुलाकात कर लिया जाए। सो, एक दिन उनके गरीबखाने में पहुंच गया। घर पहुंचने पर देखा कि गुनाहगार के चारों ओर कुछ कागज बिखरे पड़े हैं। वे काम में इतने व्यस्त थे कि मेरे आने की उन्हें भनक तक नहीं लगी। एक कागज उठाकर पहले तो वे कुछ देर तक उसे घूरते रहे और फिर एक कागज पर कुछ नोट करते हुए बोले, ‘दिल्ली में पेट्रोल के दाम में बढ़ोतरी हुई चार रुपये छियालिस पैसे, मुंबई में सात रुपये बत्तीस पैसे। इसका मतलब है कि मुंबई में खसरा-खतौनी की नकल मांगने पर बिटामिन ‘आर’ की कीमत पैंतीस रुपये से बढ़कर पैंसठ रुपये होगी और दिल्ली में बिटामिन ‘आर’ की कीमत पचास रुपये होगी।’

मैं चौंक गया। मन ही मन सोचने लगा कि यह मुई बिटामिन ‘आर’ क्या बला है? मुझसे रहा नहीं गया। मैंने गुनाहगार को दंडवत प्रणाम करते हुए कहा, ‘उस्ताद! यह बिटामिन ‘आर’ क्या है?’ मुझे देखकर गुनाहगार चौंके और हड़बड़ी में हाथ का कागज छिपाने लगे। मुझसे पूछा, ‘तुम कब आए?’ मैंने हंसते हुए कहा, ‘जब से आप पेट्रोल के दाम और बिटामिन ‘आर’ को किसी नामाकूल फार्मूले पर कस रहे थे। मेरी बात सुनकर उन्होंने गहरी सांस ली और मुझे बैठने का इशारा किया और फिर बोले, ‘बात यह है कि जब-जब पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ते हैं, सभी जरूरी चीजों के दाम बढ़ जाते हैं। ऐसे में ‘सुविधा शुल्क’ यानी बिटामिन ‘आर’ की कीमत भी बढ़ जाता है। देश भर के आफिसों में बाकायदा एक सूची सबको दे दी जाती है कि आज से फलां काम के इतने और फलां काम के इतने रुपये लिए जाएं। हर बार यह सूची बनाने का जिम्मा मुझे दे दिया जाता है। कल से जुटा पड़ा हूं, लेकिन अभी तक सूची बन नहीं पाई है।’

मैंने आश्चर्य जताते हुए कहा, ‘बिटामिन आर मतलब रिश्वत?’ गुनाहगार ने चेहरे पर कोई भाव लाए बिना कहा, ‘रिश्वत होगी तुम्हारे लिए, हम सबके लिए तो बिटामिन ‘आर’ है। बिटामिन आर का सेवन करते ही कर्मचारी में अपार ऊर्जा का संचार होता है, वह आलस्य किए बिना काम झटपट निबटा देता है, अधिकारी भी बिटामिन आर की झलक पाते ही अपना सारा जरूरी काम-धाम छोड़कर उस फाइल पर चिड़िया बिठा देते हैं। जिस बिटामिन ‘आर’...तुम्हारे शब्दों में कहें, तो रिश्वतखोरी को अन्ना दादा जैसे लोग इतनी हिकारत की नजर से देखते हैं, अगर इसका प्रचलन हिंदुस्तान में न होता, तो उसका इतना विकास न हुआ होता। भ्रष्टाचार की बदौलत जो सड़क पांच-छह महीने में बन जाती है, उसी सड़क की फाइल रिश्वत न मिलने पर सालों अटकी रहती।’

‘तो क्या रिश्वतखोरी इस देश के भाग्य में हमेशा के लिए लिख गया है?’ यह सवाल पूछते समय मैं काफी निराश हो गया था। ‘बिल्कुल...जब तक सरकारी और गैर सरकारी आफिसों में बिटामिन ‘आर’ खिलाकर कर्मचारियों को मोटा किया जाता रहेगा, तब तक देश का विकास द्रुत गति से होता रहेगा। मैं तो कहता हूं कि सरकार और ट्रेड यूनियनों को नया नारा गढ़ना चाहिए, दुनिया के रिश्वतखोरों! एक हों।’ यह कहकर उस्ताद गुनाहगार ने अपना कागज समेटा और चाय बनाने के लिए किचन में चले गए। चाय पीने के बाद मैं भी अपने घर लौट आया।

1 comment:

  1. vitamin R tradition is increasing in india ..........its only reason is indian public who entertan these activities................

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