Tuesday, May 22, 2012

लल्लन टॉप चैनल

अशोक मिश्र
शाम को थका-मांदा घर पहुंचकर टीवी आॅन किया। चैनल ‘लल्लन टॉप’ पर खबरें प्रसारित हो रही थीं। न्यूज एंकर भानुमती की सुरीली आवाज गूंज रही थी, ‘लल्लन टॉप न्यूज चैनल की खास पेशकश...अभी हम आपको दिखाएंगे थोड़े से ब्रेक के बाद।’ इसके बाद सिरदर्द से लेकर गोरे होने की क्रीम तक के विज्ञापनों को देखते-देखते माथा और भन्ना गया। चैनल बदलने की सोच ही रहा था कि न्यूज एंकर भानुमती अपने लटके-झटके के साथ एक बार फिर नमूदार हुई, ‘हम आपको बता दें कि इस समय आप देख रहे हैं ‘लल्लन टॉप’ चैनल।
अब हम आपको ले चलते हैं, दौलतपुर जिले के एक गांव नथईपुरवा में। इस गांव की धरती पर पैदा हुए हैं तीन बछड़े एक साथ। हम आपको बता दें कि दौलतपुर जिले के नथईपुरवा गांव में पैदा हुए तीन जुड़वा बछड़ों की एक्सक्लूसिव स्टोरी सबसे पहले आप तक लाया है लल्लन टॉप चैनल। तो दोस्तो! हम आपको बता दें कि दौलतपुर की धरती ने आज उस समय इतिहास रच दिया, जब दौलतपुर जिले के नथईपुरवा गांव में एक गाय ने तीन बछड़ों को एक साथ जन्म दिया। तीनों बछड़े स्वस्थ हैं। इन बछड़ों की देखभाल जिला मुख्यालय से आई एक टीम कर रही है। कैमरामैन प्रदीप के साथ हमारे संवाददाता चंद्रबख्श जी इस समय नथईपुरवा गांव में हैं। आइए, हम अपने संवाददाता चंद्रबख्श जी से पूछते हैं कि वहां का क्या माहौल है?
स्क्रीन पर माइक संभाले चंद्रबख्श नजर आते हैं। न्यूज एंकर पूछती है, ‘चंद्रबख्श जी, आप हमारी बात सुन पा रहे हैं? आप हमारे दर्शकों को बताइए कि वहां का माहौल कैसा है? लोग इस संबंध में क्या बातें कर रहे हैं। तीन बछड़ों को जन्म देने के बाद गाय कैसा महसूस कर रही है?’ चंद्रबख्श की आवाज आती है, ‘हां, भानुमती, मैं आपकी बात अच्छी तरह से सुन रहा हूं। जहां तक माहौल की बात है, नथईपुरवा के लोग सुबह से ही पटाखे फोड़ रहे हैं। गाय भी काफी खुश है। आप देख सकती हैं कि गाय इस समय हरा-चारा खा रही है। उसके चेहरे पर गर्व और प्रसन्नता की झलक साफ देखी जा सकती है। उसने दौलतपुर के इतिहास में एक सुनहरा अध्याय जोड़ दिया है, इसकी सबसे ज्यादा खुशी गाय को है। आइए, हम बात करते हैं गाय के मालिक बलिराम जी से।’ स्क्रीन पर झक्कास कुर्ता-पायजामा पहने बलिराम जी के साथ चंद्रबख्श प्रकट होते हैं। चंद्रबख्श पूछते हैं, ‘बलिराम जी! क्या आपको पहले से उम्मीद थी कि आपकी गाय तीन बछड़ों को जन्म देगी? क्या आपने पहले कोई जांच कराई थी? मेरा मतलब कोई अल्ट्रा साउंड वगैरह...?’  बलिराम मूंछों पर ताव देते हुए बताते हैं, ‘नहीं कोई जांच तो नहीं कराई थी, लेकिन हमें पूरा विश्वास था कि हमारी गाय कबरी कोई न कोई कारनामा जरूर करेगी। तीस साल पहले कबरी की दादी ने भी एक साथ तीन बछियों को जन्म दिया था। इसकी मां भूरी ने भी चार साल पहले दो बछड़ों को एक साथ जन्म दिया था।’इसके बाद कैमरा बलिराम के चेहरे से पैन होता हुआ कबरी तक जाता है। कुछ देर तक चारा खाती कबरी और गांव में नाचती-गाती  और पटाखे फोड़ती भीड़ को दिखाते हैं, फिर नाचती हुई एक महिला से पूछते हैं, ‘आपको इस उपलब्धि पर कैसा महसूस हो रहा है?’ महिला के पीछे कुछ लड़के और लड़कियां अपना चेहरा दिखाने की नीयत से धक्का-मुक्की करते हैं, इसी बीच वह महिला कहती है, ‘हमका खुसी है कि कबरी माता हमरे गांव की लाज रख लिहिन। देश मा इतना नाम हुआ, यहके लिए हम सभी बहुत खुस हैं।’ इसके बाद चंद्रबख्श विदा हो जाते हैं। स्क्रीन पर एंकर का चेहरा नमूदार होता है। वह कहती है, ‘अब हम अपने दर्शकों को ले चलते हैं दिल्ली स्टूडियो, जहां हमारे साथ मौजूद हैं देश के प्रसिद्ध अर्थशास्त्री एमएनए सुब्रह्मण्यम राधास्वामी जी। चलिए, उनसे पूछते हैं कि इससे देश और प्रदेश की अर्थव्यवस्था पर क्या प्रभाव पड़ेगा?’ राधा स्वामी जी पहले गला खंखारकर साफ करते हैं, फिर बोलते हैं, ‘मैं समझता हूं कि इससे प्रदेश की अर्थव्यवस्था पर कोई बहुत ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा। हां, बलिराम की विकास दर देश या प्रदेश की विकास दर से थोड़ा ज्यादा रहेगी।’
 इसके बाद एंकर की आवाज आती है, ‘अब समय हो चला है एक छोटे से ब्रेक का। दर्शकों, ब्रेक के बाद हम अपने दर्शकों के सामने फिर हाजिर होंगे। हमारे साथ होंगे सत्ताधारी दल के एक नेता, एक वरिष्ठ पत्रकार और नेता प्रतिपक्ष धमकैया सिंह, जिनके साथ हम चर्चा करेंगे कबरी के अर्थव्यवस्था में योगदान की। तब तक के लिए हम आपसे विदा लेते हैं।’ इसके बाद न्यूज एंकर गायब हो जाती है। मैं चादर ओढ़कर सो जाता हूं।

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