Monday, November 25, 2013

हमें बदलनी है झारखंड की तस्वीर : हेमंत सोरेन

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पहली प्राथमिकता विकास

अपेक्षाओं के ढेर पर बैठे हेमंत सोरेन के लिए चुनौतियां कम नहीं हैं, लेकिन जिस रफ्तार से वे इससे निपट रहे हैं, वह काबिलेतारीफ है। ऐसे में यही उम्मीद की जा सकती है कि उनके हाथ में जब तक कमान रहेगी, झारखंड प्रगति की राह पर आगे बढ़ता रहेगा...
अशोक मिश्र
‘झारखंड की मीडिया में खराब तस्वीर पेश की जा रही है। झारखंड में उतनी गड़बड़ियां नहीं हैं, जितनी बताई जा रही हैं। पिछले कुछ महीनों से झारखंड में बहुत कुछ अच्छा हुआ है और आगे भी हम बेहतर करने की कोशिश में लगे हुए हैं।’ यह कहना है झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का। दिल्ली में पत्रकारों से अनौपचारिक मुलाकात के दौरान उन्होंने यह बात कही। उन्होंने कहा कि झारखंड की स्थापना के चौदह वर्ष के बाद भी अभी वहां बहुत कुछ किया जाना बाकी
  दिल्ली में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के साथ विचार विमर्श करते हुए ‘हमवतन’ के संपादक आरपी श्रीवास्तव, स्थानीय संपादक अशोक मिश्र और विशेष संवाददाता अनंत अमित।
है। लेकिन इसका यह मतलब भी नहीं है कि वहां कुछ हुआ ही नहीं है। हां, जब भी झारखंड की बात चलती है, तो लोग इसे पिछड़ा और आदिवासी बहुल राज्य बताकर इसकी हैसियत कम आंकने की कोशिश करते हैं, जो सही नहीं है। उन्होंने कहा कि झारखंड में जितने प्राकृतिक संसाधन हैं, उनका अगर सही तरीके से उपयोग किया जाए, तो झारखंड में रहने वालों की दशा और दिशा में क्रांतिकारी परिवर्तन हो सकता है। यहां के जंगल, जमीन और खदानें किसी सोने की खदानों से कम नहीं हैं। बस, इनका उपयोग राज्य और समाज की भलाई के लिए होना चाहिए। आदिवासी समाज के लिए अभी बहुत कुछ करने की आवश्यकता है। उन्हें उनका हक दिलाने की दिशा में सरकार लगी हुई है। जब तक आदिवासी समाज विकास की मुख्यधारा से नहीं जुड़ता, तब तक विकास का कोई मतलब नहीं है। विकास के साथ-साथ उनकी भाषा, रीति-रिवाज और सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण भी जरूरी है। आदिवासी समुदाय को यह नहीं लगना चाहिए कि विकास के नाम पर राज्य सरकार योजनाओं को उन पर थोप रही है। वे विकास की धारा में सहज रूप से शामिल हों, यही हमारी प्राथमिकता है।
अफसोस है कि केंद्र सरकारों ने इन प्राकृतिक संसाधनों के बदले प्रदेश को दिया बहुत कम, जिसका नतीजा यह हुआ कि आजादी के बाद से ही यह विकास की मुख्यधारा में आने से पिछड़ गया। जिन उद्देश्यों और लक्ष्यों को लेकर झारखंड राज्य का गठन किया गया, उस लक्ष्य को हम अभी तक नहीं प्राप्त कर पाए हैं। यह भी सही है कि हमारे सामने चुनौतियां कम नहीं हैं, सीमित समय और सीमित संसाधनों में हमें काफी बड़ा लक्ष्य हासिल करना है। हम इस दिशा में कोशिश भी कर रहे हैं। हमारी सरकार इसके कारणों की पहचान के साथ-साथ किसी प्रकार के विवाद से दूर रहकर आगे बढ़कर लक्ष्य हासिल करने में विश्वास करती है।
पिछले दिनों भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी की पटना रैली के दौरान हुए विस्फोट के आरोपियों के झारखंड से तार जुड़ने के मामले में उन्होंने कहा कि ये बातें बार-बार उठाकर हमारी सरकार की छवि खराब करने की कोशिश की जा रही है। आज आंतकवाद, माओवाद और नक्सलवाद से प्रभावित कई राज्य हैं। आतंकी घटनााओं में शामिल समाज विरोधी तत्व इन राज्यों में भी पकड़े जा रहे हैं, लेकिन बार-बार झारखंड को ही क्यों हाईलाइट किया जा रहा है। हमारी सरकार काफी शिद्दत से नक्सलियों और आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई कर रही है। जो भी राज्य के विकास में अपनी भूमिका तलाशना चाहता है, हम उसका खुले दिल से स्वागत करते हैं।
बातचीत के दौरान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि चार महीने ही हमारी सरकार का गठन हुए हुआ है। इस दौरान हमने कई ऐसे कार्य किए हैं जिनकी चर्चा की जानी चाहिए, लेकिन होती नहीं है। हमारी सरकार ने पत्रकारों के लिए पांच लाख रुपये की बीमा योजना और पत्रकार कल्याण ट्रस्ट स्थापित करने की योजना साकार रूप दिया है। हमने यह महसूस किया कि पत्रकार इसी समाज का हिस्सा है और उसकी भी अपनी कुछ समस्याएं हैं। यह समुदाय समाज के सभी लोगों के हितों का ध्यान रखते हुए अपने कर्तव्य में लगा रहता है, लेकिन किसी भी सरकार ने उसकी समस्याओं की ओर ध्यान नहीं दिया। गैरमान्यता प्राप्त पत्रकार के आस्कमिक निधन या विकलांगता पर उसके परिवार को कितनी तकलीफ होती है, इसे हमारी सरकार ने महूसस किया। हमने इस दिशा में आगे बढ़कर कार्य किया और हमें सफलता भी मिली। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपनी भावी योजनाओं पर चर्चा करते हुए कहा कि उनकी सबसे पहली प्राथमिकता राज्य के विकास के साथ-साथ भ्रष्टाचार मुक्त माहौल का निर्माण करना है। भ्रष्टाचार की शिकायत मिलते ही हमने अधिकारियों को सख्त कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। आम जनता को बेहतर प्रशासन मिले, इसके लिए हम हर संभव प्रयास कर रहे हैं। इसमें हमें काफी हद तक सफलता भी मिली है। हमारी सरकार बेरोजगार युवकों को रोजगार मुहैया कराने की दिशा में भी बड़ी जोर-शोर से लगी हुई है। झारखंड राज्य के गठन के लिए चलने वाले आंदोलन के दौरान शहीद हुए लोगों के परिजनों को सम्मान और नौकरी देने की घोषणाएं कई बार की गईं, लेकिन उन्हें नौकरी के साथ-साथ सम्मान देने का महत्वपूर्ण कार्य हमारी सरकार ने किया है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने बताया कि उनकी सरकार ने 65 साल से अधिक   उम्र के सभी वृद्धों को सम्मानजनक पेंशन देने की व्यवस्था की है। यह हमारा अपने बुजुर्गों के प्रति सम्मान व्यक्त करने का तरीका है। हम अपने राज्य के युवाओं को संदेश देना चाहते हैं कि जब तक हम अपने बुजुर्गों का सम्मान नहीं करेंगे, तब तक परिवार और समाज का विकास संभव नहीं हैं। हमें अपने बुजुर्गों के अनुभवों का लाभ उठाना चाहिए।

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