अशोक मिश्र
पाकिस्तान अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष से 12 हजार करोड़ डॉलर का कर्ज हथियाने में कामयाब हो ही गया। दुनिया जानती है कि जिस क्लाइमेट रेजिलिएंस लोन प्रोग्राम के तहत पाकिस्तान को यह नया लोन दिया जा रहा है, वह प्रोग्राम कभी धरातल पर उतरेगा ही नहीं। इसमें से ज्यादातर पैसा उन संगठनों पर खर्च किया जाएगा जिनके पांच प्रमुख कर्ताधर्ताओं को नौ मई को भारत एक ही झटके में निपटा चुका है। जिनके जनाने में पाकिस्तान की मिलिट्री के बड़े-बड़े अधिकारी शामिल हुए और शरीफ सरकार ने बड़ी शराफत के साथ शोक जताया। इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड के कार्यकारी बोर्ड की बैठक भारत ने पाकिस्तान को नया फंड देने का भरपूर विरोध किया, लेकिन भारत का पक्ष सुना नहीं गया। आईएमएफ बोर्ड में भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे परमेश्वरन अय्यर ने पाकिस्तान को दिए जाने वाले 1.3 बिलियन डॉलर के ऋणों पर आपत्ति जताते हुए कहा था कि इस पर दोबारा विचार किया जाए। पाकिस्तान को मिलने वाला पैसा आतंक को बढ़ावा देने में इस्तेमाल हो सकता है। लेकिन आईएमएफ ने भारत के अनुरोध को मानने से इनकार कर दिया था।
आईएमएफ बोर्ड में देश पाक को लोन मिलने का विरोध कर सकते थे, उन्होंने जानबूझकर चुप रहना और समर्थन देना जरूरी समझा। इसमें उनका क्या हित था, इसकी समीक्षा जरूरी है।
भारत की यह आशंका बिल्कुल सही है कि इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड से मिलने वाले लोन का इस्तेमाल भारत के खिलाफ किया जाएगा। आतंकवाद की नर्सरी में नए-नए
आतंकी तैयार किए जाएंगे, फिर उनके दिमाग में जेहाद का कचरा भरा जाएगा और उन्हें येन केन प्रकारेण भारत की सरजमीं पर भेज दिया जाएगा। वह यहां आकर या तो फौज की गोलियों का निशाना बनेंगे या फिर किसी अमानवीय घटना को अंजाम देते हुए मारे जाएंगे। उन आतंकियों का अंतिम परिणाम निश्चित है। इसके बावजूद पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज नहीं आता है।
हमारे देश के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री या दूसरे बड़े नेता जब भी किसी देश में जाते हैं, तो उस देश की सरकार बड़े गर्व से कहती है कि अमुक राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री या राजनेता महात्मा बुद्ध के देश से आए हैं। बुद्ध पूरी दुनिया में सबसे बड़े ब्रांड आज भी हैं। दुनिया के कई देशों में बौद्ध राष्ट्रीय धर्म के रूप में प्रचलित है। भारत में भले ही बौद्ध कम संख्या में रह गए हों, लेकिन कई देशों महात्मा बुद्ध को भगवान के रूप में पूजने वाले कम नहीं हैं। ढाई हजार साल बाद भी महात्मा बुद्ध के सत्य, अहिंसा और मानव प्रेम की तूती पूरी दुनिया में बजती है। पूरी दुनिया महात्मा बुद्ध के आगे झुकती है। महात्मा बुद्ध ने शाक्यों और कोलियों के बीच रोहिणी नदी के जल बंटवारे को लेकर पैदा हुए विवाद के चलते अपना घर त्याग दिया था।
दरअसल, कोलिय और शाक्य दोनों उनके अपने थे। दोनों में आपस में रिश्तेदारी भी थी, लेकिन खेतों की सिंचाई और पेयजल के लिए दोनों समुदायों को रोहिणी नदी के पानी की ज्यादा से ज्यादा जरूरत थी और इसी बात को लेकर दोनों राज्यों में आपस युद्ध होता रहता था। महात्मा बुद्ध ने युद्ध रोकने का प्रयास किया और युद्ध में भाग लेने से इनकार कर दिया। गणराज्य के नियमों के मुताबिक उन्हें गणराज्य के नियम भंग के अपराध में उनके परिवार को फांसी दी जा सकती थी, संपत्ति जब्त की जा सकती थी या देश निकाला दिया जा सकता था।
राजपुत्र होने के नाते वह चाहते तो सजा से बच सकते थे, लेकिन उन्होंने घर त्याग का विकल्प चुना। उसके बाद रोहिणी नदी का बंटवारा वैसे ही हुआ जैसा बुद्ध चाहते थे। हमारा देश महात्मा बुद्ध को पूजता है। अहिंसा हमारा परम धर्म है, लेकिन पिछले तीन-चार दिन में पूरी दुनिया को बता दिया कि हम शठे साठ्यम समाचरेत की नीति का भी पालन करते हैं। भारत ने सदियों से लेकर आज तक किसी दूसरे देश पर आक्रमण नहीं किया।लेकिन जिसने भी आंख दिखाने की कोशिश की उसकी आंख फोड़ने में भी तनिक भी संकोच नहीं हुआ। हालांकि भारत-पाक में सीजफायर की अभी-अभी खबर आई है।